Cigarette

Google Translator

Saturday 10 December 2016

“मैं, मेरी तन्हाई, मेरा केबिन, मेरा पुराना कंप्यूटर और मेरी अटकी हुई सैलरी...”

blogger widgets
      हम लाइफ के बारे में सोचते कुछ और हैं और हो कुछ और जाता है... 10 महीने पहले एक प्राइवेट ऑफिस में कंप्यूटर ऑपरेटर की पोस्ट में जॉब करना शुरू किया... सैलरी बहुत कम, इतनी कम की उस से ज्यादा रोड में ठेला लगा के कमा लूं... पर ज्यादा पढाई करने के कुछ साइड इफ़ेक्ट भी तो होते हैं न बाबा... जॉब नहीं मिलती J



इतनी कम सैलरी में भी इसलिए काम करना पड़ा क्यूंकि और कोई जॉब मिल नहीं रही थी और ऑफिस वालों ने कहा था कि काम सही लगा तो सैलरी बढ़ाएंगे... बढ़ाएंगे कहा तो था पर शायद इस जन्म में नहीं... L

      10 महीने हो गये पता ही नहीं चला... सोचा था सैलरी कम है कोई नहीं एक ठिकाना तो मिला घर वालो को कहने के लिए कि जॉब कर रहा हूँ... सोचा था साथ में गवर्नमेंट जॉब की भी तैयारी करता रहूँगा पर हाय रे किस्मत जॉब भी 10 – 11 घंटे की... सब कुछ निचोड़ दिया इन्होने... घर जा कर बस सोने का मन करता है... सुबह उठो फिर से ऑफिस... “ऑफिस” कितना प्यारा शब्द है... पर हकीकत कुछ और... कहाँ से पढ़े और कहाँ से सरकारी जॉब की तैयारी करें... बस फॉर्म भरते रहे, पेपर देते रहे, फ़ैल होते रहे... इसी का नाम शायद जिन्दगी है बाबू मोशाय...


      सैलरी बढ़ाने को बोलते रहो, वो भी “करते हैं, करते हैं” कर के टालते गये... अब तो यही रह गया है लाइफ में... सैलरी बढ़ेगी भी तो कितना??? जितना लोग अब स्टार्टिंग में ले रहे हैं उतना मैं रोज घिस घिस कर, भीख मांग मांग कर लूँगा... पर ले के रहूँगा ये मन में विश्वास है... हम होंगे कामयाब एक दिन... J



अपने साथ के दोस्त जिनको स्कूल टाइम में देख के लगता था कि “इन बेचारों का क्या होगा आगे लाइफ में...” वो आज सही जगह लग गये हैं, कुछ की शादी भी हो गई है... लाइफ सेट हो गई हैं उनकी... फुल मज्जे... अब तो उनके सामने आने में भी शर्म आती है... उनके लिए हम अब एलियन बनने में ही सही है... एलियन की तरह उन्हें पता तो है कि हम भी इसी दुनिया में हैं पर कहाँ हैं ये सिर्फ हम जानते हैं बाबा J

सारी दुनिया मज्जे कर रही है और एक हम अभी भी उसी कहावत में अटके पड़े हैं “छोटी छोटी चीज़ों में खुशियाँ तलाशो...” अब तो छोटी छोटी बातों में भी नहीं मिलती खुशियाँ बाबा... उनका स्टॉक भी शायद ख़तम हो गया है... J शुक्र है टाइम से ये ब्लॉग बना दिया इसी में सब मन की फालतू बातें पोस्ट किया करूँगा... पढना है पढो वरना यहाँ भी खुशियाँ तलाश लेंगे... हीहीही..

“मैं, मेरी तन्हाई, मेरा केबिन, मेरा पुराना कंप्यूटर और मेरी अटकी हुई सैलरी...”

-          बाबा बेरोजगार  

No comments:

Post a Comment

Blogger Widgets